Add To collaction

द गर्ल इन रूम 105

"फार्महाउस का पूरा स्टाफ़ इसका गवाह है।'


'वो स्टाफ़ है, आपकी तनख्वाह पर पलने वाला।'

"किसी से भी पूछ लो अलग से सभी तुम्हें एक ही बात बताएंगे। एक मिनट, क्या तुम मुझ पर इल्ज़ाम लगाने की कोशिश कर रहे हो?"

मैं तो नहीं कर रहा, लेकिन करने वाले कर सकते हैं। ऑनर किलिंग्स होती ही हैं, मैंने कहा। 'क्या बकवास है।'

'जारा को दफनाते समय मैंने आपको मायूस या उदास नहीं देखा। आपकी आंखों में आंसू भी नहीं थे।'

"मैं लोगों के सामने अपने जज्बातों को जाहिर नहीं करता। मेरी बिटिया... उसका रूम अब भी वैसा ही है,

जैसा वो छोड़कर गई थी। मैं उसके रूम में गया और अकेले में बैठकर रोता रहा। आज के बाद यह कहने की हिमाकत मत करना कि मुझको दर्द का अहसास नहीं होता।" "हो सकता है आपको हो, लेकिन..."

"ये तुमने लेकिन लेकिन क्या लगा रखा है? मैंने कुछ नहीं किया है। मैं इस तरह का आदमी नहीं हूँ, जो किसी को चोट पहुंचाए, फिर अपनी बेटी को मारना तो दूर की बात है।" * आपने मुझे मारने की धमकी दी थी, मैंने कहा।

सफ़दर की आंखें मुझ पर टिक गई। हम कुछ देर तक एक-दूसरे को घूरते रहे। "तुमको क्या लगता है, तुम मुझ पर मेरी बेटी के कत्ल का इल्ज़ाम लगा दोगे और लोग इसको मान लेंगे?"

तो क्या यही आपकी दलील है? कि आपने ऐसा नहीं किया है, क्योंकि इसको साबित नहीं किया जा

सकता?'

'क्या तुम साबित कर सकते हो?"

"चलो, सौरमा

मैं जाने के लिए उठ खड़ा हुआ। सौरभ मेरे पीछे-पीछे गार्डन तक चला आया। हम उस झूले के क़रीब से होकर गुज़रे, जिस पर बैठकर जारा के पिता ने मुझसे शहादा करने को कहा था। मुझे लगा कि जारा अभी रुबी के साथ खेलते हुए वहां आ जाएगी। मैं तेज़ क़दमों से चलने लगा, क्योंकि मैं रोना नहीं चाहता था। 'रुको,' पीछे से सफ़दर की आवाज़ आई। मैं मुड़ा में उम्मीद कर रहा था कि फ़िल्मी स्टाइल में सफदर के गुर्गे आएंगे और हमें मारेंगे। लेकिन वहां पर सफ़दर अकेले खड़े थे। "अंदर आओ, उन्होंने कहा।

सौरभ और मैं वहीं के वहीं खड़े रह गए। मैं सोच रहा था कि कहीं ये हमें अपने घर के किसी तहखाने में ले जाकर वहां किसी खुफ़िया तालाब में हमें फेंककर अपने पालतू मगरमच्छों को तो नहीं खिला देगा। ★मेरे पीछे-पीछे चले आओ। स्टडी रूम में बैठकर बात करते हैं, उन्होंने कहा।

सफदर का स्टडी रूम, उनके पूरे घर की ही तरह, नवाबी शानो-शौकत से भरा हुआ था। वुडन फ्लोर पर कश्मीर

के महंगे रेशमी कालीन बिछे हुए थे। कमरे के एक तरफ बड़ी-सी स्टडी टेबल और बड़ी-बड़ी चमड़े की कुर्सियां थीं।

दूसरे छोर पर ब्लैक लेदर सोफा सेट था। एक पूरी दीवार पर लंबा बुकशेल्फ़ था जिसमें सैकड़ों किताबें भरी हुई

थी। हम तीनों एक सोफे पर बैठ गए।

"तुम सिकंदर के बारे में कितना जानते हो?" सफदर ने कहा । "जारा उसे बहुत पसंद करती थी। वो हमेशा श्रीनगर में बिताए दिनों को याद करती रहती थी। वो कहती

थी कि सिकंदर बहुत ही मासूम लड़का है।' मुस्करा दिए।

यह सुनकर सफ़दर "और इसके अलावा?"

'यह कि आपने जारा को उससे मिलने-जुलने से मना किया था।'

सफ़दर ने गहरी सांस ली।

मैंने उसे उससे मिलने-जुलने से इसलिए मना किया था, क्योंकि सिकंदर टीईजे का मेंबर है।"


   0
0 Comments